सेहतनामा- हल्दी सिर्फ मसाला नहीं, जादुई दवा है: कैंसर, अल्जाइमर्स जैसी 10 बीमारियों को रखे दूर, जानिए किसे हल्दी नहीं खाना चाहिए

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हर देश की अपनी विशेष संस्कृति और परंपरा होती है। सबका अपना खानपान भी होता है। भारत में इन तीनों चीजों पर हल्दी एकछत्र राज कर रही है। भारतीय संस्कृति, परंपरा से लेकर रसोई तक हर जगह हल्दी ने अपना विशेष स्थान बनाया है।

इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी खास स्थान प्राप्त है। चोट, दर्द और सूजन के इलाज के लिए हल्दी का लंबे अरसे से बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता रहा है। हमारे पूर्वज हल्दी से होने वाले फायदों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे मसालों में जगह दे दी। अब हमारे भोजन में हल्दी इस तरह घुल-मिल गई है कि कई बार तो खाना खाते हुए भी हमें इसके होने का एहसास तक नहीं होता है।

हर तरह की सब्जी और दाल में मिली यह एक चुटकी हल्दी हमारे ऊपर बीमारियों का हमला होने पर मजबूत ढाल का काम करती है।

हल्दी हमारे भोजन का गहना है। इससे खाने में रंग और स्वाद तो बढ़ता ही है, न्यूट्रिशनल वैल्यू भी बढ़ती है। कई बार यह हमें छोटी-मोटी चोट, दर्द और सूजन का तो पता भी नहीं चलने देती है। इसके अलावा यह सर्दी-जुकाम से लेकर हार्ट डिजीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाती है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे हल्दी की। साथ ही जानेंगे कि-

  • हल्दी की न्यूट्रिशनल वैल्यू क्या है?
  • इसकी मेडिसिनल प्रॉपर्टीज क्या हैं?
  • हल्दी किन बीमारियों से सुरक्षित रखती है?
  • ज्यादा हल्दी खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं?

चोट, दर्द और सूजन के लिए रामबाण है हल्दी

हमारे पूर्वजों ने हल्दी से होने वाले फायदों को बहुत पहले ही पहचान लिया था। इसलिए उन्होंने हल्दी को भोजन का जरूरी हिस्सा बना दिया। इसके अलावा चोट, दर्द और सूजन के लिए भी इसका खूब इस्तेमाल करते रहे हैं।

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