श्रद्धा के 35 टुकड़े करने वाला लॉरेंस बिश्नोई से घबराया

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देर रात श्रद्धा वालकर और उसके लिव-इन पार्टनर आफताब के बीच बहस हुई। बात बढ़ती गई और आफताब ने श्रद्धा का गला दबाकर मर्डर कर दिया। दोनों दिल्ली के महरौली में किराए पर रह रहे थे। दो दिन आफताब श्रद्धा की डेडबॉडी के साथ ही रहा।

इस दौरान गूगल पर डेडबॉडी ठिकाने लगाने के तरीके खोजता रहा। 19 मई को मार्केट गया और 300 लीटर का फ्रिज लेकर लौटा। एक आरी भी खरीदी। श्रद्धा की डेडबॉडी के 35 टुकड़े करके फ्रिज में रख दिए। फिर रात में उन्हें छतरपुर के जंगलों में फेंकता रहा।

ढाई साल हो गए, श्रद्धा मर्डर केस में फैसला नहीं आया। श्रद्धा के पिता विकास वालकर इस इंतजार में है कि कोर्ट आफताब को सजा सुनाए और वे बेटी का अंतिम संस्कार कर सकें। विकास के मुताबिक, श्रद्धा को इतनी बेरहमी से मारने वाले आफताब के चेहरे पर मैंने कभी डर या शिकन नहीं देखी।

तिहाड़ की जेल नंबर 4 में बंद आफताब अब डरा हुआ है। डर जान जाने का है। मुंबई में बाबा सिद्दीकी के मर्डर में आरोपी शूटर शिवकुमार ने पुलिस को बताया है कि आफताब गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के निशाने पर है। उसके शूटर कोर्ट आने-जाने के दौरान रेकी भी कर चुके हैं। खबर सामने आई, तो आफताब के वकील ने उसकी ऑनलाइन पेशी की गुजारिश की, जिसे कोर्ट ने मान लिया।

श्रद्धा मर्डर केस की सुनवाई दिल्ली के साकेत कोर्ट में हो रही है। अभी ट्रायल चल रहा है। डॉक्टर, श्रद्धा के दोस्त और डिलिवरी बॉय की गवाही हो चुकी है। विकास वालकर 27 नवंबर को सुनवाई के लिए मुंबई से दिल्ली आए थे। सुनवाई के बाद दैनिक भास्कर ने उनसे केस के स्टेटस और लॉरेंस गैंग के बारे में बात की।

‘बेटी के कातिल को कब सजा मिलेगी, नहीं पता’ आफताब अब कोर्ट में फिजिकली नहीं आ रहा है। आफताब के चेहरे पर विकास वालकर ने कभी शिकन नहीं देखी। अब वही आफताब लॉरेंस गैंग के डर से वीडियो कॉल से ट्रायल में शामिल होता है। लॉरेंस गैंग के रेकी किए जाने की खबर मीडिया में आने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन भी अलर्ट हो गया है।

हमने इस बारे में विकास से पूछा, तो वे कहते हैं, ‘जब कोर्ट में आता हूं और आफताब को जिंदा देखता हूं, तो बहुत अजीब लगता था। गुस्सा भी आता है, लेकिन क्या कर सकता हूं। लॉरेंस बिश्नोई अगर आफताब के साथ कुछ करता है, तो मुझे बहुत शांति मिलेगी। मेरी बेटी को भी शांति मिलेगी।’

‘उसे कब सजा मिलेगी, कितना समय लगेगा, अभी नहीं पता। हर बार कह देते हैं कि 2 से 3 महीने में सजा हो जाएगी। 4-5 महीने पहले भी यही कहा गया था।’

‘आफताब को पछतावा नहीं, उसे जिंदा रखने से क्या फायदा’ विकास वालकर आगे कहते हैं, ’मुझे कभी नहीं लगा कि आफताब को कभी पछतावा हुआ हो, न ही वो कभी डरा हुआ लगा। वो ऐसे दिखाता है जैसे उसने कुछ किया ही नहीं है।’

‘जब उसे अपने किए पर पछतावा नहीं है, तो ऐसे आदमी को जिंदा रखने का क्या फायदा। अगर उसे फांसी देना है, तो जल्दी देना चाहिए। या फिर लॉरेंस बिश्नोई जैसे लोगों को उसे खत्म कर देना चाहिए।’

‘बेटी के शरीर का कोई हिस्सा मिल जाता, तो अंतिम संस्कार कर पाता श्रद्धा के पिता बात करते हुए कई बार इमोशनल हो जाते हैं। बेटी का अंतिम संस्कार न कर पाना उनके मन को कचोटता है। वे कहते हैं, ‘मैं कोर्ट से पहले भी डिमांड कर चुका हूं कि बेटी के कुछ बॉडी पार्ट्स मिल जाएं, जिससे उसका अंतिम संस्कार कर सकूं।’

‘कोर्ट ने कहा है कि केस का फैसला आने तक कोई बॉडी पार्ट नहीं दे सकते। इसी साइंटिफिक एविडेंस से केस का फैसला आएगा। फाइनल डिसीजन होगा, तभी हमें अंतिम संस्कार के लिए बॉडी पार्ट्स मिल पाएंगे। इसलिए मैं बस इंतजार कर रहा हूं। ये इंतजार कितना लंबा होगा, अभी नहीं पता।

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